23 Oct 2025
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उत्तर प्रदेश में एक ऐसी नदी है जिसका पानी तो एकदम शुद्ध है लेकिन फिर भी यहां को लोगों ने इस नदी के पानी को सालों से नहीं छुआ है.
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यह नदी यूपी के चंदौली में बहती है, जिसका नाम कर्मनाथा है. माना जाता है कि यह नदी शापित है.
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इस नदी के नाम का मतलब कर्म का नाश करने वाला बताया जाता है.लोग इस नदी के पानी को छूते नहीं हैं.
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मान्यता है कि जो भी इस नदी के पानी को छूएगा उसके सारे अच्छे काम, पुण्य खत्म हो जाएंगे.
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कहानियों के अनुसार, राजा त्रिशंकु जो शरीर समेत स्वर्ग जाना चाहते थे. उन्होंने अपने गुरु से शरीर समेत स्वर्ग जाने की इच्छा जताई, लेकिन उनके गुरु वशिष्ठ ने उन्हें वरदान देने से इनकार कर दिया.
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इसके बाद राजा के पिता सत्यव्रत वशिष्ठ के दुश्मन ऋषि विश्वामित्र के पास गए.
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वशिष्ठ और ऋषि विश्वामित्र के बीच सालों से दुश्मनी थी. इसलिए विश्वामित्र ने त्रिशंकु को शरीर समेत स्वर्ग भेजने का फैसला किया.
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प्राचीन कथा के अनुसार, विश्वामित्र ने अपने तप और बल से सत्यव्रत को सशरीर स्वर्ग भेज दिया था.
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इससे क्रोधित होकर इंद्रदेव ने सत्यव्रत को स्वर्ग से उल्टा धरती पर गिरा दिया, लेकिन विश्वामित्र के तप के प्रभाव से सत्यव्रत बीच में ही लटक गए और त्रिशंकु कहलाए.
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कथा के अनुसार, उनके मुंह से लार गिरने लगी, जो नदी के रूप में बह निकली. इसे कर्मनाशा नदी कहा गया.
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माना जाता है कि त्रिशंकु को वशिष्ठ के श्राप से यह स्थिति मिली थी, इसलिए कर्मनाशा नदी को भी शापित माना जाता है.
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इस कारण, स्थानीय लोग इसके जल को पीने या किसी काम में लेने से बचते हैं और इसे अशुद्ध मानते हैं.
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कर्मनाशा नदी गंगा नदी प्रणाली का हिस्सा है और उत्तर प्रदेश और बिहार के बीच सीमा निर्धारण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं.
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गंगा की एक सहायक नदी, कर्मनाशा, दोनों राज्यों से होकर बहती है और प्रभावी रूप से एक प्राकृतिक सीमा का काम करती है.
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