बिहार के गोपालगंज जिले की पहचान कई मायनों में अनोखी है. जहां एक ओर राज्य का औसत लिंगानुपात 918 है, वहीं गोपालगंज इस मामले में बाकी जिलों से बहुत आगे है. यहां हर 1,000 पुरुषों पर 1,021 महिलाएं हैं. यह आंकड़ा गोपालगंज को बिहार के सर्वश्रेष्ठ जिलों में शुमार करता है.
गोपालगंज का प्रारंभिक इतिहास भले ही बहुत स्पष्ट न हो, लेकिन पुरातात्विक साक्ष्य बताते हैं कि वैदिक काल में यह क्षेत्र विदेह नरेश के अधीन था और आर्य काल में वामन वंश के चेरो राजा ने यहां राज किया. महाभारत काल में यह भूरिसर्वा नामक राजा के अधीन था. 13वीं से 16वीं शताब्दी तक इस पर बंगाल के सुल्तानों और बाद में मुगलों का शासन रहा.
इस जिले का नाम भगवान श्रीकृष्ण (गोपाल) के नाम से जुड़ा माना जाता है, और यहां कई मंदिर इसकी सांस्कृतिक विरासत को दर्शाते हैं.
गोपालगंज का इतिहास सिर्फ प्राचीन गौरव तक सीमित नहीं है यह जिला आजादी की लड़ाई से लेकर 1970 के दशक में जयप्रकाश नारायण की संपूर्ण क्रांति तक, और अन्य कई राष्ट्रीय व सामाजिक आंदोलनों में अग्रणी रहा है. यहां की जनता ने हमेशा बदलाव और न्याय के लिए आवाज बुलंद की है.
गोपालगंज बिहार के उन चुनिंदा जिलों में से है जो विदेशी मुद्रा अर्जन में अग्रणी हैं. मध्य पूर्व में काम करने वाली बड़ी प्रवासी आबादी इसकी प्रमुख वजह है. इसके अलावा, जिले में तीन शुगर मिलें, एथेनॉल प्लांट, चावल व आटा मिलें और डेयरी यूनिट्स हैं जो स्थानीय उद्योगों को मजबूती देते हैं. यही वजह है कि यह जिला प्रति व्यक्ति आय के मामले में बिहार के शीर्ष 10 जिलों में गिना जाता है.
हालांकि गोपालगंज आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव का गृह जिला है, फिर भी उनकी पार्टी इस विधानसभा सीट पर कभी प्रभावी नहीं रही. 1951 से अब तक यहां 19 चुनाव (जिसमें दो उपचुनाव भी शामिल हैं) हुए हैं, और आरजेडी सिर्फ एक बार, वर्ष 2000 में, लालू के साले साधु यादव के जरिए यह सीट जीत पाई थी.
कांग्रेस ने शुरुआती दौर में यहां दबदबा बनाया, 1950 से 1972 के बीच सात में से छह चुनाव जीते. 1967 में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी ने इस सिलसिले को तोड़ा. इसके बाद निर्दलीयों, जनता पार्टी, जनता दल और बहुजन समाज पार्टी ने भी एक-एक बार यह सीट अपने नाम की. पिछले दो दशकों में भाजपा ने यहां मजबूत पकड़ बनाई है और लगातार पांच बार सीट पर जीत दर्ज की है. पूर्व मंत्री सुबाष सिंह ने चार बार जीत हासिल की, और 2022 में उनके निधन के बाद उनकी पत्नी कुसुम देवी ने मात्र 1,794 वोटों से उपचुनाव जीता. 2025 में भाजपा यहां एक और मजबूत चेहरा उतारने की तैयारी कर सकती है.
2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा की सहयोगी जदयू ने गोपालगंज संसदीय सीट जीती और सभी छह विधानसभा क्षेत्रों में बढ़त बनाई, जिसमें गोपालगंज भी शामिल है.
यहां की जनसंख्या संरचना भी चुनावी समीकरणों में अहम भूमिका निभाती है. अनुसूचित जाति की जनसंख्या 11.93%, अनुसूचित जनजाति 2.05%, और मुस्लिम मतदाता लगभग 22.6% हैं. ग्रामीण मतदाता बहुल हैं (84.7%), जबकि शहरी मतदाता सिर्फ 15.3% हैं.
2020 के विधानसभा चुनावों में कुल 3,25,040 मतदाता थे और मतदान प्रतिशत 55.03% रहा. 2024 के आम चुनावों तक यह आंकड़ा बढ़कर 3,44,890 हो गया.
भाषाई दृष्टिकोण से गोपालगंज में भोजपुरी का वर्चस्व है. 2011 की जनगणना के अनुसार, 96.09% लोग भोजपुरी बोलते हैं, जबकि हिंदी 1.85% और उर्दू 1.76% लोगों की भाषा है.
(अजय झा)
Anirudh Prasad Alias Sadhu Yadav
BSP
Asif Ghafoor
INC
Abdul Salam
JSHD
Lalan Prasad Bind
IND
Waqar Ahmad
IND
Vivek Kumar Chaubey
PP
Sanjay Choubey
IND
Rajeev Kumar
IND
Sanjay Kumar Parsad
IND
Binay Kumar
AIFB
Shambhu Singh
IND
Sikandar Azam
NCP
Nota
NOTA
Md. Hayatullah
BINP
Sheoji Prasad
IND
Raju Kumar
JNP
Pramod Kumar
GGP
Motilal Prasad
AKP
Mithilesh Kumar Gupta
JAP(L)
Sunita Sharma
IND
Imteyaz Alam
RRPP
Chandan Singh
HSJP
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गोपालगंज में एनडीए उम्मीदवारों के समर्थन में जनसभाओं को संबोधित करते हुए लालू परिवार पर हमला बोला. उन्होंने अपनी सरकार की उपलब्धियों जैसे शिक्षकों की नियुक्ति, मेडिकल कॉलेज, मुफ्त बिजली, वृद्धा पेंशन, महिलाओं के रोजगार और कानून-व्यवस्था को गिनाया. मतदाताओं से अपील की कि चुनाव में RJD को मौका न दें, क्योंकि वे केवल अपने परिवार के लिए काम करते हैं.
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बिहार में बीजेपी प्रत्याशियों की दूसरी लिस्ट में गोपालगंज सदर विधायक कुसुम देवी का टिकट कटने के बाद वो फूट-फूट कर रोने लगीं. विधायक अपने आवास पर कार्यकर्ताओं के बीच फफक कर रो पड़ीं और पार्टी पर विश्वासघात का आरोप लगाया. समर्थकों ने प्रदेश नेतृत्व के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. अब यह सवाल उठ रहा है कि क्या कुसुम देवी निर्दलीय मैदान में उतरकर समीकरण बदलेंगी?
आज तक की श्वेता सिंह 'पदयात्रा बिहार' में लालू प्रसाद यादव के गृह जिले गोपालगंज पहुंचीं, जहां उन्होंने हथुआ विधानसभा क्षेत्र में लोगों का चुनावी मन टटोला. एक ग्रामीण ने सीधे तौर पर कहा, 'हमारे गांव में विकास कुछ भी नहीं करते हैं, वह सौतेला हमारे गांव के साथ व्यवहार करते हैं.'
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 20 जून 2025 को बिहार के सीवान में एक रैली को संबोधित करेंगे. यह 24 फरवरी 2025 के बाद राज्य में उनका पांचवां दौरा होगा, इससे पहले वे भागलपुर (24 फरवरी 2025), मधुबनी (24 अप्रैल 2025) और विक्रमगंज (30 फरवरी 2025) का दौरा कर चुके हैं. इस सीवान दौरे में लगभग 9500 करोड़ रुपये की विकास परियोजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन होने की संभावना है.
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