हथुआ विधानसभा क्षेत्र बिहार के गोपालगंज जिले में स्थित एक सामान्य श्रेणी का निर्वाचन क्षेत्र है, जो गोपालगंज (अनुसूचित जाति) लोकसभा सीट का हिस्सा है. इस क्षेत्र में हथुआ और फुलवरिया प्रखंडों के साथ-साथ उच्चकागांव ब्लॉक के जमसर, त्रिलोकपुर, मोहैचा, बलेसरा ग्राम पंचायतें और मीरगंज नगर पंचायत शामिल हैं.
यह इलाका पश्चिमी गंगा के मैदानों में स्थित है, जहां की उपजाऊ जलोढ़ मिट्टी धान, गेहूं, मक्का और गन्ने जैसी फसलों की अच्छी पैदावार देती है. क्षेत्र की अर्थव्यवस्था मुख्यतः कृषि पर आधारित है, जिसे डेयरी और छोटे स्तर के व्यापार का भी सहयोग मिलता है. भूमिहीन और सीमांत किसानों के बीच मौसमी प्रवासन एक आम प्रवृत्ति बनी हुई है. हाल के वर्षों में सड़क संपर्क जैसे बुनियादी ढांचे में कुछ सुधार देखने को मिला है.
हथुआ, जिला मुख्यालय गोपालगंज से लगभग 20 किमी दक्षिण में स्थित है. इसके पूर्व में मीरगंज, दक्षिण-पश्चिम में सिवान (लगभग 35 किमी) और छपरा (लगभग 86 किमी) स्थित हैं. राज्य की राजधानी पटना से यह क्षेत्र करीब 165 किमी दूर है. उत्तर प्रदेश के नजदीकी शहरों में देवरिया (60 किमी) और बलिया (90 किमी) शामिल हैं. क्षेत्र में सड़क मार्ग की अच्छी सुविधा है, वहीं रेल संपर्क सिवान-गोपालगंज रेल लाइन पर स्थित हथुआ और मीरगंज स्टेशनों से उपलब्ध है.
इस विधानसभा क्षेत्र में फुलवरिया गांव भी आता है, जो बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) प्रमुख लालू प्रसाद यादव का पैतृक गांव है. हालांकि इस प्रतीकात्मक महत्व के बावजूद, राजद को लालू यादव के गृहक्षेत्र में दो बार हार का सामना करना पड़ा, और पहली जीत 2020 में मिली. इसके अलावा, 2008 में क्षेत्र के गठन के बाद से लोकसभा चुनावों में राजद यहां लगातार पिछड़ता रहा है.
विधानसभा क्षेत्र के गठन के बाद से यहां अब तक तीन बार चुनाव हो चुके हैं. 2010 और 2015 में जनता दल (यूनाइटेड) ने यह सीट जीती, जबकि 2020 में राजद ने पहली बार जीत दर्ज की. 2020 में राजद के राजेश कुमार सिंह ने जदयू के रामसेवक सिंह को 30,527 मतों के अंतर से हराया. राजेश को 86,731 वोट (49.84%) मिले जबकि रामसेवक को 56,204 वोट (32.29%) मिले थे. लोजपा उम्मीदवार को 9,894 वोट (5.69%) मिले, लेकिन परिणाम पर उसका कोई खास प्रभाव नहीं पड़ा.
2020 के चुनावों में हथुआ में कुल 3,04,045 पंजीकृत मतदाता थे. इनमें से अनुसूचित जाति के मतदाता लगभग 38,675 (12.72%), अनुसूचित जनजाति के 9,912 (3.26%) और मुस्लिम मतदाता 51,991 (17.1%) थे. कुल मतदान प्रतिशत 57.59 रहा.
2024 के लोकसभा चुनाव तक यह मतदाता संख्या बढ़कर 3,20,877 हो गई, जबकि निर्वाचन आयोग के अनुसार 2020 के मतदाता सूची में दर्ज 4,420 मतदाता क्षेत्र से पलायन कर चुके थे.
2024 के लोकसभा चुनाव में जदयू के डॉ. आलोक कुमार सुमन ने हथुआ विधानसभा क्षेत्र में वीआईपी पार्टी के चंचल पासवान को 25,119 वोटों से हराकर बढ़त बनाई. इस जीत ने क्षेत्र में एनडीए के हौसले को बल दिया है, हालांकि राजद अभी भी विधानसभा सीट पर काबिज है.
जैसे-जैसे 2025 का विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहा है, हथुआ में जातीय समीकरण, गठबंधन की रणनीति और उम्मीदवारों की व्यक्तिगत लोकप्रियता चुनावी नतीजों को तय करने में अहम भूमिका निभाएंगे. राजद जहां 2020 की जीत को बरकरार रखने की कोशिश करेगा, वहीं जदयू 2024 में मिली बढ़त के बल पर खोई हुई जमीन वापस पाने की रणनीति में जुटेगा.
(अजय झा)
Ramsewak Singh
JD(U)
Ram Darshan Prasad
LJP
Nota
NOTA
Shreeram Bhagat
IND
Surendra Ram S/o Kanhaiya Ram
BSP
Surendra Gupta
IND
Dr. Shashi Bhushan Rai
IND
Maksudan Prasad Singh
IND
Raj Kumar Srivastav
IND
Sabib Alam
NCP
Surendra Ram
BRD
Mohammad Mustafa
BMP
Abhinandan Pathak
VSP
Kashinath Singh
JNP
Indrajit Gupt Jyotishkar
RJJM
बिहार में टिकटों का बंटवारा फाइनल हो गया है. उम्मीदवारों को तय करने में आरजेडी, बीजेपी और जेडीयू ने जातिगत समीकरणों का पूरा ख्याल रखा है. तेजस्वी यादव ने लोकसभा चुनाव के प्रयोग को दोहराते हुए कुशवाहा उम्मीदवारों को ठीक-ठाक संख्या में टिकट दिया है.
वाल्मीकिनगर से जनसुराज पार्टी उम्मीदवार दृग नारायण प्रसाद का नामांकन विभागीय अनुमति न होने के कारण रद्द कर दिया गया. यह पार्टी और प्रशांत किशोर के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है. इससे पहले भी कुछ उम्मीदवारों ने नामांकन वापस लिया था.
लालू परिवार के बाद संजय यादव आरजेडी नेताओं के निशाने पर हैं. आरजेडी नेता मदन शाह ने संजय यादव पर टिकट बेचने जैसा गंभीर आरोप लगाया है. टिकट न मिलने पर मदन शाह पटना में राबड़ी देवी के आवास पर कुर्ते फाड़कर जमीन पर लोट लोट कर रोने लगे - और संजय यादव को कठघरे में खड़ा कर दिया.
दरभंगा के गौड़ाबौराम सीट से आरजेडी ने अफजल अली खान को चुनाव चिह्न दिया था, लेकिन बाद में सीट वीआईपी के लिए छोड़ दी. अफजल खान ने अपनी उम्मीदवारी वापस नहीं ली, उनके पास राजद का चुनाव चिन्ह 'लालटेन' है. इससे महागठबंधन समर्थकों के लिए भ्रम की स्थिति बन गई है.
मोतिहारी की सुगौली सीट से विकासशील इंसान पार्टी के शशि भूषण सिंह का नामांकन तकनीकी लापरवाही के चलते रद्द हो गया है. साथ ही अन्य उम्मीदवारों के नामांकन भी रद्द होने से महागठबंधन को बड़ा राजनीतिक झटका लगा है. यह सीट अब एनडीए के लिए अधिक मजबूत हो गई है, जिससे चुनावी समीकरण पूरी तरह बदल गए हैं.
झारखंड मुक्ति मोर्चा ने बिहार चुनाव में सीट शेयरिंग को लेकर कांग्रेस और राजद पर गंभीर आरोप लगाए हैं. JMM का कहना है कि गठबंधन की 'राजनीतिक धूर्तता' के कारण उसे बिहार में 6 सीटों पर भी चुनाव लड़ने का मौका नहीं मिला. इससे JMM की नाराज़गी बढ़ी है और अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या झारखंड में JMM का रुख बदलने वाला है?
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