मुजफ्फरपुर भारत के स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है, जिसमें मुजफ्फरपुर षड्यंत्र कांड एक प्रमुख अध्याय है. 30 अप्रैल 1908 को, 18 वर्षीय क्रांतिकारी खुदीराम बोस को गिरफ्तार किया गया, मुकदमा चलाया गया और फांसी दे दी गई क्योंकि उन्होंने कलकत्ता (अब कोलकाता) के मुख्य प्रेसीडेंसी मजिस्ट्रेट डगलस किंग्सफोर्ड की गाड़ी पर बम फेंका था. यह हमला मुजफ्फरपुर में हुआ था, लेकिन किंग्सफोर्ड किसी अन्य गाड़ी में सवार थे, जिससे यह निशाना चूक गया. इस विस्फोट में दो ब्रिटिश महिलाओं की मृत्यु हो गई थी.
जब खुदीराम बोस को हथकड़ियों में मुजफ्फरपुर लाया गया और मुकदमे का सामना करना पड़ा, तो पूरा शहर उन्हें देखने के लिए पुलिस स्टेशन पर उमड़ पड़ा. कहा जाता है कि जब अदालत ने उन्हें मृत्युदंड सुनाया, तो उन्होंने मुस्कुराते हुए इसे स्वीकार किया, जिससे वे शहर की सामूहिक स्मृति में अमिट छाप छोड़ गए.
1977 में भी ऐसा ही जनसमर्थन देखने को मिला, जब लीला कबीर ने अपने पति जॉर्ज फर्नांडिस के लिए चुनाव प्रचार किया. उस समय वे जेल में रहते हुए लोकसभा चुनाव लड़ रहे थे. लीला कबीर ने पूरे शहर में एक गाड़ी में प्रचार किया, जिस पर सलाखों के पीछे जॉर्ज फर्नांडिस की एक पेंटिंग बनी हुई थी. आपातकाल हटने के बाद अधिकांश विपक्षी नेताओं को रिहा कर दिया गया था, लेकिन राजद्रोह के आरोपों के कारण फर्नांडिस जेल में ही रहे. मुजफ्फरपुर की जनता ने उन्हें कभी प्रत्यक्ष रूप से नहीं देखा था, फिर भी उन्होंने भारी मतों से उन्हें जिताया. फर्नांडिस ने 3 लाख से अधिक वोटों के अंतर से जीत हासिल की और 1977 से 2004 तक पांच बार मुजफ्फरपुर सीट का प्रतिनिधित्व किया. हालांकि, उनका राजनीतिक करियर 2009 में एक शर्मनाक हार के साथ समाप्त हुआ, जब जनता दल (यूनाइटेड) ने उन्हें टिकट देने से इनकार कर दिया और उन्हें निर्दलीय चुनाव लड़ना पड़ा. वे केवल 22,804 वोट ही प्राप्त कर सके, जो कुल मतों का मात्र 1.7 प्रतिशत था, और उनकी जमानत भी जब्त हो गई.
मुजफ्फरपुर लोकसभा सीट में छह विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं, जिनमें से मुजफ्फरपुर विधानसभा क्षेत्र प्रमुख है. यह मुख्य रूप से शहरी क्षेत्र है, जहां 88 प्रतिशत से अधिक शहरी मतदाता हैं. उत्तर बिहार का सबसे बड़ा शहर होने के कारण मुजफ्फरपुर को इस क्षेत्र की व्यावसायिक राजधानी भी कहा जाता है.
मुजफ्फरपुर विधानसभा क्षेत्र की स्थापना 1957 में हुई थी, और इसकी चुनावी इतिहास में कोई एक पार्टी अपना स्थायी दबदबा नहीं बना पाई है. कांग्रेस ने इस सीट पर रिकॉर्ड छह बार जीत हासिल की है, जबकि सीपीआई और बीजेपी ने इसे दो-दो बार जीता है. इसके अलावा, आरजेडी, जनता पार्टी, जनता दल, पीडीएसपी और एक निर्दलीय उम्मीदवार ने भी एक-एक बार यह सीट जीती है.
बीजेपी ने 2010 और 2015 के लगातार चुनावों में जीत दर्ज कर इस सीट पर अपनी पकड़ मजबूत की थी।. हालांकि, 2020 में कांग्रेस उम्मीदवार विजेंद्र चौधरी ने बीजेपी के मौजूदा विधायक सुरेश कुमार शर्मा को 6,325 वोटों के अंतर से हराकर यह सीट जीत ली.
मुजफ्फरपुर में मुस्लिम आबादी का महत्वपूर्ण योगदान है, जो कुल मतदाताओं का लगभग 18.5 प्रतिशत है. वे आमतौर पर सबसे मजबूत गैर-बीजेपी उम्मीदवार को सामूहिक रूप से समर्थन देते हैं, जिससे हिंदू वोटों का ध्रुवीकरण होता है, जिसका लाभ बीजेपी को मिलता है. अनुसूचित जाति के मतदाता लगभग 9.5 प्रतिशत हैं.
2025 के मुजफ्फरपुर विधानसभा चुनाव में बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए और आरजेडी के नेतृत्व वाले महागठबंधन के बीच कड़ा मुकाबला होने की संभावना है. कांग्रेस को एक बार फिर यह सीट दी जा सकती है. बीजेपी ने 2024 के लोकसभा चुनाव में लगभग 2.35 लाख वोटों के बड़े अंतर से जीत दर्ज कर अपनी मजबूती दिखाई, जिसमें मुजफ्फरपुर विधानसभा क्षेत्र से भी अच्छी बढ़त हासिल की.
2020 विधानसभा चुनावों में मुजफ्फरपुर में 3,22,538 पंजीकृत मतदाता थे, जो 2024 के लोकसभा चुनाव तक बढ़कर 3,30,837 हो गए. 2025 के चुनावों के लिए निर्वाचन आयोग द्वारा जारी मतदाता सूची में इस संख्या के और बढ़ने की संभावना है.
(अजय झा)
Suresh Kumar Sharma
BJP
Pallavi Sinha
PP
Ravi Atal
JAP(L)
Rambabu Sah
JVKP
Nota
NOTA
Shiva Bihari Singhania
BHNP
Ajay Kumar (s/o Raghunath Ojha)
BVP
Vibhuti Priyam
NCP
Manoj Kumar
JDR
Suresh Kumar Gupta
IND
Dharmendra Kumar
RPI(A)
Ramdhani Mahato
BMP
Dhanvanti Devi
LCD
Kumareshwar Sahay
VBA
Rajeshwar Prasad
IND
Kumar Harsh
JTP
Praveen Jeet Pushkar
IND
Md. Amin
BP(L)
Pappu Kumar
IND
Sanjay Kumar
SJDD
Kumari Jaya Prabha
BJKD(D)
Naqui Ahmad
IND
Avinash Kumar
LJD
Arvind Kumar Choudhary
SUCI
Kundan Kumar
BSKPT
Deva Nand Singh
IND
Amroop Kumar
IND
Ajay Kumar (s/o Narayan Singh)
IND
बिहार के एक मतदाता ने बताया कि पिछले चुनाव में भूमिहार समुदाय को केवल एक विधानसभा सीट मिली थी, जिसे खो दिया गया था. इस बार स्थिति बदल गई है क्योंकि जेडीयू ने भी एक सीट पर दावा किया है और बीजेपी को मुजफ्फरपुर सीट मिली है. इस क्षेत्र में दोनों युवा और अनुभवी नेता मैदान में हैं.
पटना में बीजेपी दफ्तर के बाहर टिकट बंटवारे को लेकर भारी हंगामा हुआ, जहां रामसूरत राय और सुरेश शर्मा के समर्थकों ने जमकर विरोध प्रदर्शन किया. टिकट कटने से नाराज समर्थकों ने पार्टी कार्यालय के बाहर नारेबाजी की. रामसूरत राय के समर्थकों ने आरोप लगाया कि दो दिन पहले पार्टी में शामिल हुए नेता को टिकट दिया गया है.
बिहार के चुनाव में जनसुराज्य पार्टी ने अपने आक्रामक रुख के साथ राजनीतिक गतिविधियों को तेज कर दिया है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, अशोक चौधरी और सम्राट चौधरी सहित कई नेताओं पर जनसुराज्य ने हमला किया है. एनडीए और महागठबंधन के बीच सीधी टकराव की संभावना जताई जा रही है.
रात देर तक रिपोर्ट्स में यह चर्चा होती रहती है कि किसी व्यक्ति के टिकट कटने की सूचना मिली है. संभावित प्रत्याशी अपने समर्थकों के द्वारा कुछ अफवाहें फैला रहे हैं या मीडिया में मैसेज भेज रहे हैं, जो चुनावी माहौल को प्रभावित कर सकते हैं.
मुजफ्फरपुर और उसके आसपास के जिलों में राजनीतिक स्थिति पर कई अहम चर्चाएं हुई हैं. गठबंधन और पार्टी के फैक्टर यहाँ प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं. खासकर प्रशांत किशोर का होने वाला प्रभाव यहाँ काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है. वर्तमान में ज्यादातर सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल रहा है, जहां सीधी लड़ाई के बजाय तीन मुख्य प्रतियोगी शामिल हैं। कैंडिडेट फैक्टर विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि प्रशांत किशोर किस प्रकार के कैंडिडेट चुनाव में उतार रहे हैं, इस बात का प्रभाव चुनाव परिणाम पर पड़ेगा.
बिहार विधानसभा चुनाव के प्रत्याशियों के नाम की घोषणा को लेकर तमाम राजनीतिक पार्टियां मंथन के अंतिम चरण में हैं. आज देर रात तक दोनों प्रमुख गठबंधनों के उम्मीदवारों की सूची जारी किए जाने की संभावना है. मुजफ्फरपुर में पत्रकारों के अनुसार, पार्टियां इस चयन प्रक्रिया में उलझी हुई हैं क्योंकि उनके कई प्रमुख सदस्य चुनाव में भागीदारी के लिए दावेदारी कर रहे हैं. इन समर्थकों का सीधा असर चुनाव परिणामों पर पड़ सकता है.
आज तक के शो 'हल्ला बोल' में बिहार की राजनीति पर एक गरमागरम बहस हुई, जिसमें बीजेपी नेता अजय आलोक और कांग्रेस प्रवक्ता अभय दुबे ने हिस्सा लिया. अजय आलोक ने नीतीश सरकार के विकास कार्यों, जैसे 24 घंटे बिजली, बेहतर कानून व्यवस्था और महिला सशक्तिकरण को गिनाते हुए कहा कि बिहार अब लालटेन युग में वापस नहीं जाएगा. वहीं, अभय दुबे ने सृजन घोटाले, बालिका गृह कांड, और अन्य भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए नीतीश सरकार की तीखी आलोचना की.
मुजफ्फरपुर के कांटी में कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए तेजस्वी यादव ने कहा कि बिहार की सभी 243 सीटों पर वो ही चुनाव लड़ रहे हैं. अपने भाषण में उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधा, लालू प्रसाद यादव की उपलब्धियों का जिक्र किया और अंत में कहा, 'हम फिर आएंगे.' तेजस्वी के इस बयान को कांग्रेस पर दबाव बनाने और महागठबंधन के सीएम चेहरे को लेकर चल रही चर्चा से जोड़कर देखा जा रहा है, खासकर क्योंकि मुजफ्फरपुर सीट पर कांग्रेस विधायक हैं.
बिहार में राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की 'वोटर अधिकार यात्रा' में दो नए नेताओं के शामिल होने से राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है. तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन और तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी इस यात्रा का हिस्सा बने हैं, जिसे विपक्षी एकता के संदेश के तौर पर देखा जा रहा है. हालांकि, बीजेपी ने इसे भाषा और बिहारी गौरव से जोड़कर कांग्रेस और आरजेडी को घेरा है.
डीएमके नेता एम के स्टालिन का हिंदी विरोध उनकी पार्टी की द्रविड़ पहचान और तमिल भाषा के प्रति समर्पण से जुड़ा है. डीएमके लंबे समय से हिंदी के प्रभुत्व का विरोध करती रही है, क्योंकि इसे तमिल संस्कृति और भाषा पर थोपने के रूप में देखा जाता है. बुधवार को हिंदी भाषी बिहार आकर भी स्टालिन ने रैली को तमिल में ही संबोधित किया.