नालंदा क बारे में सोचते ही प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय की छवि सामने आ जाती है. यह एक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है. प्रसिद्ध इतिहासकार विलियम डलरिम्पल ने हाल ही में इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में इसे "अपने समय का हार्वर्ड, ऑक्सब्रिज और नासा" कहा, जिससे इसकी ऐतिहासिक महत्ता स्पष्ट होती है. नालंदा की उत्पत्ति बुद्ध (छठी–पांचवीं शताब्दी ईसा पूर्व) और जैन धर्म के संस्थापक महावीर के समय से जुड़ी हुई है. पारंपरिक विवरण इसे नागार्जुन (द्वितीय–तृतीय शताब्दी ईस्वी) जैसे प्रारंभिक बौद्ध आचार्यों से जोड़ते हैं, लेकिन पुरातात्विक प्रमाण इसे गुप्त काल (पांचवीं शताब्दी ईस्वी) में स्थापित बताते हैं. यह एक प्रमुख शिक्षा केंद्र के रूप में फला-फूला और चीनी यात्री ह्वेनसांग और यीचिंग द्वारा प्रलेखित किया गया, जिन्होंने इसके शैक्षणिक और मठवासी जीवन का विस्तृत वर्णन किया. अक्सर इसे विश्व का पहला आवासीय विश्वविद्यालय माना जाता है, जो लगभग एक सहस्राब्दी तक समृद्ध रहा, लेकिन इसका पतन 1200 ईस्वी के आसपास मोहम्मद बख्तियार खिलजी की सेना से जुड़े एक विनाशकारी अग्निकांड के कारण हुआ.
हालांकि, अपनी गौरवशाली विरासत से परे, वर्तमान नालंदा विधानसभा क्षेत्र, जो 1977 में स्थापित हुआ, एक अलग कहानी बयां करता है- जो जातीय राजनीति और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रभाव से प्रभावित है. नालंदा जिला 1972 में पटना से अलग कर बनाया गया था, जबकि इसकी प्रशासनिक राजधानी बिहारशरीफ एक अलग विधानसभा सीट है.
अपने शुरुआती वर्षों में, नालंदा विधानसभा सीट पर कांग्रेस के श्यामसुंदर प्रसाद और निर्दलीय उम्मीदवार राम नरेश सिंह के बीच बारी-बारी से जीत दर्ज होती रही, दोनों ने पहले चार चुनावों में दो-दो बार जीत हासिल की. लेकिन यह स्थिति तब बदल गई जब नीतीश कुमार का राजनीतिक दबदबा बढ़ा, जिससे इस क्षेत्र की राजनीतिक दिशा पूरी तरह बदल गई. तब से, नीतीश कुमार की सरकार में वरिष्ठ मंत्री श्रवण कुमार ने जनता दल (यूनाइटेड) और उसके पूर्ववर्ती दल, समता पार्टी के उम्मीदवार के रूप में नालंदा सीट पर लगातार सात बार जीत हासिल की है. उनकी जीत हमेशा भारी अंतर से हुई, सिवाय 2015 के, जब उन्होंने बीजेपी उम्मीदवार को मात्र 3,000 से कम वोटों के अंतर से हराया. यह वह समय था जब जेडीयू ने बीजेपी का साथ छोड़कर राजद-नीत महागठबंधन से हाथ मिलाया था.
जनता दल (यूनाइटेड) और उसकी पूर्ववर्ती समता पार्टी ने 1996 से नालंदा लोकसभा सीट पर लगातार नौ चुनाव जीते हैं, जो इस क्षेत्र में नीतीश कुमार की गहरी पकड़ को दर्शाता है. 2024 के लोकसभा चुनावों में, जेडीयू और बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन ने नालंदा की सात में से छह विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज की, जबकि राजद केवल एक सीट पर आगे रही.
नीतीश कुमार की कुर्मी जाति का इस जिले में महत्वपूर्ण प्रभाव है. हालांकि, कुमार का जन्म नालंदा के बख्तियारपुर में हुआ था, जो पटना साहिब लोकसभा सीट के अंतर्गत आता है, फिर भी उनकी पकड़ पूरे जिले में मजबूत है. उन्हें कुशवाहा और अति पिछड़ी जातियों (EBC) का भी व्यापक समर्थन प्राप्त है. इसके अलावा, अनुसूचित जाति (24.32 प्रतिशत) और मुस्लिम (4.7 प्रतिशत) मतदाता भी लगातार कुमार का समर्थन करते रहे हैं. उनका प्रभाव इतना गहरा है कि 1996 से 2004 के बीच तीन बार जॉर्ज फर्नांडिस नालंदा लोकसभा सीट से सांसद बने, हालांकि वे इस क्षेत्र के लिए पूरी तरह बाहरी व्यक्ति थे, लेकिन नीतीश कुमार के करीबी सहयोगी होने के कारण उन्हें जीत हासिल हुई.
नालंदा विधानसभा क्षेत्र पूरी तरह ग्रामीण है, जहां सभी मतदाता ग्रामीण इलाकों में रहते हैं. यहां की मतदाता संख्या लगातार बढ़ रही है. 2020 के विधानसभा चुनावों में 3,10,070 मतदाता थे, जो 2024 के लोकसभा चुनावों में बढ़कर 3,26,659 हो गए और 2025 की मतदाता सूची में इसमें और वृद्धि की संभावना है. जैसे-जैसे नालंदा अगले विधानसभा चुनावों की ओर बढ़ रहा है, इसकी राजनीतिक स्थिति नीतीश कुमार की विरासत और जातिगत समीकरणों से गहराई से जुड़ी हुई है, भले ही बिहार के अन्य हिस्सों में उनकी लोकप्रियता में गिरावट आई हो.
(अजय झा)
Kaushlendra Kumar
JVKP
Gunjan Patel
INC
Ram Keshwar Prasad
LJP
Sonu Kumar
RLSP
Kumar Rajesh
IND
Mani Kumar Singh
BLD
Rahul Raushan
IND
Sanyukta Kumari
MVJP
Sanjiv Ranjan Kumar Singh
RJLP(S)
Nota
NOTA
Md. Asgar Bharti
IND
Indrajeet Paswan
PPI(D)
Brahamdev Prasad
SSD
Rajiv Kumar
YBP
Dev Kumar
IND
Ajay Kumar
JAP
Raj Kumar Singh
BBMP
Suvant Vikram Rao
IND
Vandna Sinha
IND
Ashok Kumar
LJVM
बिहार विधानसभा चुनाव की अंतिम तारीखें घोषित हो गई हैं. कुल 243 सीटों पर दो चरणों में मतदान होगा, जिसमें पहले चरण में 6 नवंबर को 121 सीटों पर और दूसरे चरण में 11 नवंबर को 122 सीटों पर वोट डाले जाएंगे. वोटों की गिनती 14 नवंबर को होगी. इस चुनाव में 7 करोड़ 43 लाख मतदाता अपनी नई सरकार चुनेंगे.
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