सरायरंजन, उत्तर बिहार के समस्तीपुर जिले से मात्र 13 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक प्रखंड है. इसके आसपास के प्रमुख नगरों में विद्यापति नगर (10 किमी), दलसिंहसराय (15 किमी), दरभंगा (45 किमी) और मुजफ्फरपुर (65 किमी) शामिल हैं. राज्य की राजधानी पटना यहां से 73 किलोमीटर दूर है.
सरायरंजन से लगभग 14 किलोमीटर दूर बहने वाली बुढ़ी गंडक नदी इस क्षेत्र की कृषि-आधारित अर्थव्यवस्था को प्रभावित करती है. यहां धान, गेहूं, मक्का और दालों की खेती बड़े पैमाने पर होती है. इसके साथ ही आलू, प्याज और टमाटर जैसी सब्जियों की खेती भी स्थानीय किसानों की आमदनी का अहम स्रोत है. डेयरी व्यवसाय भी यहां की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. सरायरंजन आस-पास के गांवों के लिए एक प्रमुख कृषि उपज व्यापार केंद्र के रूप में कार्य करता है.
सरायरंजन विधानसभा क्षेत्र की स्थापना वर्ष 1967 में हुई थी और यह उजियारपुर लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है. यह सरायरंजन और विद्यापति नगर विकासखंडों को सम्मिलित करता है. यहां की कुल 14 विधानसभा चुनावों की राजनीतिक यात्रा में मतदाताओं ने कई पार्टियों को मौका दिया है, लेकिन कम्युनिस्ट पार्टियों को अब तक एक भी जीत नहीं मिली है. जनता दल (यूनाइटेड) और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने इस सीट पर तीन-तीन बार जीत दर्ज की है. संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी, जनता पार्टी और जनता दल ने दो-दो बार यह सीट जीती है, जबकि कांग्रेस और भारतीय जनसंघ को एक-एक बार सफलता मिली है.
यह सीट अनारक्षित (जनरल) श्रेणी की है और पूरी तरह ग्रामीण मतदाता क्षेत्र है, जिसमें शहरी मतदाता शामिल नहीं हैं. वर्ष 2020 के विधानसभा चुनावों में यहां कुल 2,81,041 पंजीकृत मतदाता थे, जिनमें से 19.14% अनुसूचित जातियों और 10.40% मुस्लिम समुदाय के थे. इस चुनाव में 60.91% मतदान दर्ज किया गया था. 2024 के लोकसभा चुनाव तक यह संख्या बढ़कर 2,82,825 हो गई, जो यह संकेत देती है कि कुछ प्रवास की प्रवृत्ति के बावजूद मतदाता संख्या स्थिर रही है. चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, 2020 और 2024 के बीच 2,721 मतदाताओं ने इस क्षेत्र से स्थानांतरित किया.
सरायरंजन की चुनावी प्रवृत्तियों का विश्लेषण करने पर स्पष्ट होता है कि यहां जदयू और राजद प्रमुख राजनीतिक ताकतें हैं. राजद ने वर्ष 2000, फरवरी 2005 और अक्टूबर 2005 में लगातार तीन बार जीत दर्ज की, वहीं जदयू ने भी 2010, 2015 और 2020 में तीन बार लगातार जीत हासिल की. 2015 में जदयू ने राजद के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ा था, जब उसने बीजेपी से नाता तोड़ा था.
हालांकि, लोकसभा चुनावों में यहां के मतदाता आमतौर पर बीजेपी को प्राथमिकता देते रहे हैं. यहां तक कि 2014 में, जब बीजेपी और जदयू आमने-सामने थे, तब भी बीजेपी को सरायरंजन विधानसभा क्षेत्र से अधिक वोट मिले थे.
2020 के विधानसभा चुनाव में जदयू की जीत का अंतर केवल 3,624 वोटों तक सिमट गया, जबकि 2015 में यह अंतर 34,044 वोटों का था. इसका एक कारण लोजपा की मौजूदगी थी, जिसने 11,224 वोट हासिल किए और मुकाबले को कड़ा कर दिया, हालांकि जदयू हार से बच गया. इसी प्रकार, 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को इस क्षेत्र से 52,211 वोटों की बढ़त मिली थी, जो 2024 में घटकर 19,442 रह गई.
बीजेपी के नेतृत्व वाला एनडीए (जिसमें जदयू और लोजपा शामिल हैं) अभी भी राजद-नीत महागठबंधन पर बढ़त बनाए हुए है, लेकिन लगातार घटते जीत के अंतर यह संकेत देते हैं कि आगामी 2025 विधानसभा चुनावों में जीत सुनिश्चित मान लेना खतरनाक हो सकता है.
(अजय झा)
Arbind Kumar Sahni
RJD
Abhash Kumar Jha
LJP
Nota
NOTA
Bulbul Kumar Sahni
AAM
Anita Kumari
RLSP
Ram Kishor Choudhary
BSLP
Nikki Jha
IND
Anil Puri
SKVP
Pushpa Kumari
SHS
Amit Kumar Jha
SPKP
Navin Kumar
PP
बिहार विधानसभा चुनाव के बीच सासाराम में राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के प्रत्याशी सत्येंद्र शाह को उनके नामांकन के ठीक बाद गिरफ्तार कर लिया गया है. यह गिरफ्तारी झारखंड के गढ़वा में 2004 के एक डकैती मामले में जारी वारंट के सिलसिले में हुई है. इस गिरफ्तारी के बाद आरजेडी और उनके समर्थकों में हड़कंप मच गया है, और उन्होंने पुलिस की कार्रवाई का विरोध भी किया.
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का चुनावी दंगल तेज़ हो गया है, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव प्रमुख चेहरे हैं. एनडीए ने महिलाओं को 10-10 हजार रुपये और जीएसटी में राहत जैसे वादे किए हैं, जबकि तेजस्वी यादव हर परिवार को एक सरकारी नौकरी देने के वादे पर कायम हैं. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बिहार में चार दीपावली मनाने का दावा किया है. नीतीश कुमार दसवीं बार मुख्यमंत्री बनने का रिकॉर्ड बनाने की कोशिश में हैं, वहीं तेजस्वी यादव, चिराग पासवान और अन्य छोटे दल चुनावी समीकरणों को प्रभावित कर रहे हैं.
बिहार की राजनीति में बड़ा उलटफेर, विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन के आखिरी दिन महागठबंधन में दरार खुलकर सामने आ गई है. तेजस्वी यादव की आरजेडी और कांग्रेस पार्टी नौ सीटों पर एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ रही हैं, जिससे गठबंधन का भविष्य दांव पर लग गया है.
बिहार विधानसभा चुनाव में दूसरे चरण के लिए नामांकन की प्रक्रिया समाप्त हो चुकी है और पहले चरण के लिए नाम वापसी की समय सीमा भी खत्म हो गई है, जिससे चुनावी रण की तस्वीर लगभग साफ हो गई है. राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने 143 उम्मीदवारों की एकतरफा सूची जारी कर दी है, जिससे कांग्रेस समेत अन्य सहयोगी दल नाराज हैं.
सासाराम से राजद उम्मीदवार सत्येंद्र साह को नामांकन के बाद झारखंड के 2004 के डकैती मामले में आरोपी होने के कारण गिरफ्तार कर लिया गया है. पुलिस टीम उन्हें झारखंड कोर्ट में पेश करने के लिए अपने साथ ले गई.
बिहार विधानसभा चुनाव में नामांकन वापसी के आखिरी दिन से पहले सियासत गरमा गई है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के हस्तक्षेप के बाद एनडीए के कई बागी उम्मीदवारों ने अपना पर्चा वापस ले लिया है, जिसमें पटना साहिब और बक्सर जैसी महत्वपूर्ण सीटें शामिल हैं.
बिहार चुनाव में विपक्षी एकजुटता में गड़बड़ी दिखाई देने लगी है. महागठबंधन के भीतर सीट बंटवारे को लेकर तालमेल बिगड़ता नजर आ रहा है. अब तक 8 सीटों पर सहयोगी दल एक-दूसरे के खिलाफ चुनावी मैदान में अपने उम्मीदवार उतार चुके हैं.
बिहार की सियासत में हलचल तेज हो गई है. चुनावी तैयारियों में वीआईपी पार्टी ने भी अपनी रणनीति साफ कर दी है. पार्टी ने 15 उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी है.
भोजपुरी स्टार पवन सिंह की पत्नी ज्योति सिंह ने काराकाट सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नामांकन दाखिल कर राजनीति में कदम रख दिया है. उनके मैदान में उतरने से भोजपुरी इंडस्ट्री में हलचल मच गई है. बिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण की 122 सीटों के लिए नामांकन प्रक्रिया आज पूरी हो गई.
बिहार में महागठबंधन के भीतर सीटों को लेकर तनातनी चरम पर पहुंच गई है, जिसमें आरजेडी, कांग्रेस और पप्पू यादव प्रमुख चेहरे हैं. कांग्रेस नेता पप्पू यादव ने कहा है कि आरजेडी गठबंधन धर्म का पालन नहीं कर रही है और इसीलिए कांग्रेस को गठबंधन तोड़ देना चाहिए. दरअसल, आरजेडी ने अपने कोटे की सभी 143 सीटों पर उम्मीदवार उतार दिए हैं, जिनमें 25 महिलाएं भी शामिल हैं.