आसन का अर्थएवं परिभाषा
आसन शब्द संस्कृ त भाषा के ‘अस’ धातु से बना है जिसके दो
अर्थ हैं- पहला है ‘बैठने का स्र्ान’ तर्ा दूसरा ‘शारीररक अवस्र्ा’।
स्थर्िंसुखमासनम ्।। पातंजल योग सूत्र 2/46
समं कायषषिोग्रीवं धाियन्नचलं स्थर्ि:।
सम्प्रेक्ष्य नाससकाग्रं थवं दिषष्चानवलोकयन्।।श्रीमद्भगवद्गीता 6/13
षवज्ञानसभक्षु के अनुसाि,
“ जितनी भी िीव िाततयां है, उनके बैठने के िो आकार ववशेष हैं,
वे सब आसन कहलाते हैं।”
थवामी षववेकानंि के अनुसाि,
“आसन के जस्र्र होने का तात्पयथ है, शरीर के अजस्तत्व का बबल्कु ल
भान तक न होना। ”
3.
आसनो का उद्िेश्य
आसनों का मुख्य उद्देश्य शारीररक तर्ा मानससक कष्टों से मुजतत
ददलाना है।
आसन से शरीर के िोड़ लचीले बनते हैं।
इनसे शरीर की मााँसपेसशयों में ख ंचाव उत्पन्न होता है।
आसन का मुख्य उद्देश्य शरीर के मल का नाश करना है।
आसनों का सीधा प्रभाव शरीर की नस-नाडड़यों के अततररतत सुक्ष्म
कशेरुकाओं पर भी पड़ता है।
आसन से शारीररक संतुलन के सार्-सार् भावनात्मक संतुलन की
प्राजतत होती है।
4.
1.थवस्थतकासन
स्वजस्तकासन कोहमारे योग शास्र में एक महत्वपूर्थ स्र्ान ददया गया है
तयोकक यह एक आसान आसन है और ज्यादा फायदा देता है.
स्वजस्तकासन को आसनों का िाजा भी कहा िाता है। तयोकक यह आसन
एक और फायदे अनेक वाली कहावत पर सही बैठता है।
स्वजस्तकासन करने से कब्ि दूर होती है और पाचन शजतत बढ़ िाती है।
इसको महषषथ घेिण्ड ने प्रमु 4 आसनों में एक माना है।
स्वजस्त का अर्थ होता है शुभ और यह हर स्र्तत में अच्छा महसूस कराता
है। इससलए इसको “थवस्थत या शुभ आसन” कहते हैं।
5.
2. गोमुखासन
संस्कृत में ‘गोमुख’ का अर्थ होता है ‘गाय का चेहिा’ या गाय का मुख़ ।
इस आसन में पांव की जस्र्तत बहुत हद तक गोमु की आकृ तत िैसे होती
है। इसीसलए इसे गोमु ासन कहा िाता है।
इसे अंग्रेिी में Cow Face Pose कहा िाता है।
यह मदहलाओं के सलए अत्यंत लाभदायक आसन है। यह
गदठया,साइदटका,अपचन,कब्ि,धातु रोग, मधुमेह, कमर में ददथ होने पर यह
आसन बहुत अधधक लाभप्रद हैं|
यह बवासीर के सलए बहुत ही उपयोगी योगाभ्यास माना िाता है।
6.
3. वीिासन
वीरका अर्थ होता है बहािुि अर्वा साहसी।
यह आसन योद्धा की वीरता को प्रदसशथत करता है, इससलए वीरासन कहलाता है।
यह शरीर को शजतत, वीरता, साहस, सहन एवं दृढ़ता प्रदान करता है। इन फायदे के
कारर् ही इसको Hero’s Pose भी कहा िाता है।
हठयोग में इस आसन का बहुत महत्त्व है।
इसके अभ्यास से आप आध्याजत्मक की ओर बढ़ते हैं।
योग शास्रों और योधगयों ने इस आसन कक कु छ िायदा ही प्रशंसा की है |
यह आसन आलस्य र्कान और अतततनद्रा को दूर करके स्फू ततथ, शजतत व प्रसन्नता
प्रदान करता है इससलए ववद्याधर्थयों के सलए बहुत ही लाभकारी आसन है तयोंकक इस
आसन का अभ्यास से ववद्यार्ी बहुत कम सो कर भी अपने शारीररक या मानससक
कायथ पूरी दक्षता से कर सकता है |
7.
4. कू माथसन
कू माथसन संस्कृ त शब्द ‘कू मथ’ से तनकला है जिसका अर्थ होता है कछु आ।
इससलए इस आसन को कछु आ योग भी कहते है।
इस आसन के अभ्याा्स से मनुष्य स्वयं को मानससक एवं इंदद्रय आसजततयों
से उसी तरह दूर कर लेता है, जिस प्रकार कछु आ स्वयं को अपने कवच में
बंद कर लेता है।
यह पेट की चबी को कम करने में भी बहुत लाभदायक है।
इस आसन का तनयसमत अभ्यास से हतनथया हमेशा हमेशा के सलए ख़त्म हो
िाता है।
8.
5. कु क्कुटासन
कु तकु ट का अर्थ मुगाथ होता है।
इस आसन में शरीर मुगे की आकृ तत के समान लगता है, इसीसलए इसे
कु तकु टासन का नाम ददया गया है।
यह आसन शरीर के संतुलन सलए बहुत अच्छा है। यह कन्धा, बांह, कोहनी
इत्यादद सलए बहुत महत्वपूर्थ योगाभ्यास है।
कु तकु टासन शरीर को सुदृढ़ एवं स््ांग बनाने में मदद करता है।
इस आसन के तनयसमत अभ्यास से मूलाधार चक्र सकक्रय हो िाता है।
यह संतुलन तर्ा जस्र्रता को बढ़ाता है।
कोहनी के मिबूती के सलए यह बहुत अच्छा योग है।
9.
6. उत्तानकू माथसन
यह एक योगासन है जिसमें कु मथ का अर्थ होता है कछु आ।
इस आसन को करते वतत व्यजतत की आकृ तत कछु ए के समान बन िाती है इसीसलए
इसे कु माथसन कहते हैं।
यह आसन डायबबटीि से मुजतत ददलाता है तयोंकक इससे पेजन्क्रयाि को सकक्रय करने में
मदद समलती है।
यह आसन नृत्य कलाकारों के सलए उतम है। तयोंकक यह रीढ़ की हड्डी को लचीला
बनाता है।
पेट के मोटापे को कम करता है। कमर पतली, लचीली, सुन्दर और मनोहर लगने लगती
है।
यह आसन श्वास संबंधी तर्ा गले के सभी रोगों को दूर करता है।
10.
7. धनुिासन
धनुरासनयोग पेट के बल लेट कर ककये िाने वाले आसनों में एक महत्वपूर्थ आसान
िो अनेकों स्वास््य फायदे के सलए िाना िाता है।
चूाँकक इसका आकर धनुष के सामान लगता है इससलए इसको धनुरासन के नाम से
पुकार िाता है।
इसको Bow पोज़ के नाम से भी िाना िाता है ।
यह आसन वज़न कम करने के सलए एक उत्तम योगाभ्यास है। इसके तनयसमत
अभ्यास से पेट की चबी कम होती है और आपके पेट को चुस्त-दुरुस्त बनाता है।
यह योगाभ्यास ववस्र्ावपत नासभ अपनी िगह पर लाने के सलए लाभदायक है।
धनुरासन उन्हें नहीं करनी चादहए जिन्हें तीव्र कमर ददथ हो।